दिनाॅक 22/08/2017 को महिला निर्माण श्रमिकों के साथ कौशल विकास पर कार्यशाला का आयोजन लोखण्डे भवन मे किया गया। इस कार्यशाला मे 60 महिला श्रमिकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला मे सहयोग विहार, मोहन गार्डन, शिव विहार, मीरा बाग, जन्माष्टमी पार्क तथा डेरी वाला बाग की महिला श्रमिकों ने हिस्सेदारी की। इस कार्यक्रम मे BWI और DGB ने सहयोग किया।
रमेन्द्र कुमार जी ने कार्यशाला का संचालन करते हुये महिलाओं से पूछा कि आज महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण लेने की अवश्यकता क्यो है। महिलाओं ने बताया की हमारे पास हुनर नही है इसलियें हम पूरा जीवन काम करते है उसके बाद भी हमें सम्मान नही मिलता, काम की पूरी मजदूरी नही मिलती हमें शोषित मजदूरी मे काम करना पडता है। देश मे महिला पुरूष की समान मजदूरी का कानून है फिर भी हमें पुरूष के मुकाबले कम मजदूरी मिलती है। ढेकेदारों द्वारा महिला श्रमिकों की मजदूरी का शोषण होता है। अगर हम प्रशिक्षण लेते है तो हमारी मजदूरी बढती है जिससे हमे घर और समाज मे सम्मान मिलेगा। काम करना हमारी मजबूरी है यदि हम पति-पत्नी दोनो मिलकर काम नही करेंगे तो घर का गुजारा कैसे होगा।
अनिता जी ने सहभागियों से पूछा कि यदि वह इस प्रशिक्षण मे हिस्सा लेती है तो परिवार के अन्य सदस्य (पति) की क्या भूमिका होगी। कुछ महिलाओं ने बताया कि वह पति की सहमति से इस कार्यशाला मे भाग लेने आई है। कुछ महिलाओं ने बताया कि पति ने कहा कि यदि वह इस प्रशिक्षण मे भाग लेती है तो कमाने नही जा पायेगी ऐसी स्थिति मे घर का गुजारा कैसे होेगा। कुछ महिलाओं ने कहा कि यदि वह कमाने नही जायेगें तो प्रशिक्षण मे आने जाने का खर्चा कहाॅ से जुटायेगें।
महिलाओं से प्रशिक्षण से जुडे कई सवाल पूछे। जैसे प्रशिक्षण कब शुरू होगा, कहाॅ जाना होगा, कितना खर्चा आयेगा, सरकार की तरफ से इस प्रशिक्षण मे कुछ सहयोग मिलेगा या नही। महिलाओं ने अपनी रूचि के अनुसार अलग-अलग ट्रेड मे प्रशिक्षण के लिये नाम लिखवाया।
महिलाओं के मन मे शंका थी कि यदि वह कौशल विकास का प्रशिक्षण ले भी लेती है तो उसके बाद भी सरकार समान ठेकेदार उनके काम को मान्यता देगे या नही। उन्हे उनकी पसन्द का काम मिलेगा या नही क्या अलग अलग रहकर काम ढूठनाॅ आसान होगा, यदि काम दूर दराज के क्षेत्रो मे मिले तो कैसे काम पर जायेंगे।